सोशल मीडिया के बढ़ते प्रभाव से समाज एवं किशोरों पर पड़ता दुष्प्रभाव: एक अध्ययन 

लेखक

  • जयश्री आचार्य,  डाॅ. लवली भाटी

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https://doi.org/10.8224/journaloi.v73i3.520

सार

  मनुष्य एक सामाजिक प्राणी है वह समाज के साथ ही रह सकता है आधुनिक युग तकनीकि का युग है मनुष्य तकनीकि का उपयोग कर रहा है। वर्तमान समय में संचार माध्यम और समाज में निकटता का गहरा संबंध है। मानव की जिज्ञासु प्रकृति के परिणाम स्वरूप ही आज संचार के नये-नये माध्यमों का विकास तेजी से हो रहा है जिनकी बदोलत ही सूचनाऐं सर्वसूलभ हो गई है। इन्टरनेट ने एक वर्चुअल मीडिया की रचना की गई है जिसे हम सोशल मीडिया के नाम से जानते हैं। सोशल मीडिया ने एक तरह से प्रत्येक व्यक्ति को मीडिया हाउस का मालिक बना दिया जहां वो अपनी अभिव्यक्ति को टेक्स्ट, फोटो तथा वीडियों के माध्यम से प्रस्तुत करता है। सोशल मीडिया पारिवारिक जीवन से जुड़ा हुआ है जो व्यक्तिगत रूप से मित्रों, रिश्तेदारों और परिवार के मध्य सम्पर्क स्थापित करने के लिए एक प्लेटफार्म प्रदान करता है जो किशोरों की सबसे आम गतिविधियों में से एक है। संज्ञानात्मक, भावनात्मक तथा क्रियात्मक पक्षों के साथ-साथ सामाजिक चुनौतियों में किशोरों के विकास के लिए इन्टरनेट ने नये अवसर प्रदान किये है। इस कारण बालक हो, किशोर हो या फिर पुरानी विचारधारा के लोग वे सभी इन्टरनेट और सोशल मीडिया पर अधिक निर्भर रहने लगे हैं, जिसके कारण उनको इसकी लत सी लग गई है जिसका सकारात्मक एवं नकारात्मक प्रभाव किशोरों के साथ-साथ उनके माता-पिता, परिवार तथा समाज पर भी आज देखने को मिल रहा है। किशोरों के साथ-साथ उनके माता-पिता को सोशल नेटवर्किंग साइट्स की प्रकृति एवं उनके पड़ने वाले प्रभावों से अवगत तथा समझाने में शिक्षक, मनोचिकित्सक एवं चिकित्सकों द्वारा मदद एवं जागरूक करना चाहिऐ ताकि वे एक स्वस्थ वातावरण तैयार कर उनका सही उपयोग करने के लिए एक अच्छी पृष्ठभूमि तैयार कर सकें।

 

प्रकाशित

2024-12-27

अंक

खंड

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